संदीप कुमार(चमोली)
चमोली (पोखरी) यूं तो में भूस्खलन उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों मेें आम बात है लेकिन इसकी जद में अगर सैकड़ो साल पुराना कोई गांव आ जाय तो चिन्ता का बड़ जाती है। पोखरी ब्लॉक नैल (गुडंम) गांव के ग्रामीण 7 साल से दहशत में रहने को मजबूर हैं। साल 2012 की आपदा में इस क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ था जिसके चलते नैल गाँव के तोक दुव्याणा के ग्रामीणो के मकानो पर दरार आ गईं।
इस गाँव में 32 परिवार निवास करते हैं। जिनको काफी खतरा बना हुआ है।ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन को इस बात से अवगत करा दिया है यहां तक की गाँव वालों ने स्थानीय विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी गुहार लगा दी है। नैल गांॅव निवासी एडवोकट देवेन्द्र राणा ने बताया कि भूगर्भ बैज्ञानिकों के 16 बिन्दुओं की रिपार्ट के बाद जिलाधिकारी चमोली ने संज्ञान लिया जिसमें 4 लाख रूपये प्रति परिवार को देने की बात हुई लेकिन ग्रामीणों को कहना है कि जब तक दूसरी जगह में जमीन नहीं मिलती तब तक काई फायदा इस मुआवजे का नहीं होगा।भविष्य में इस गांव को भूस्खलन का भारी खतरा हो गया है।साथ ही पास के गांव गुणम में भी भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।
कोई इनकी सुनने वाला नहीं है।